कोरोना संकट के चलते मार्च 2020 से ही विद्यालय बंद है परंतु मैंने तय किया कि बच्चो की पढ़ाई नही रुकनी चाहिए। मैंने बच्चों का एक व्हाट्सअप ग्रुप बनाया व सभी बच्चों को इससे जोड़ा।
सबसे पहले जिन भी बच्चों के फोन नंबर मेरे पास थे, उन सभी को कॉन्टेक्ट किया व उनके अभिभावकों को बच्चों के भविष्य को देखते हुए तैयार किया कि आप बच्चों को 1-2 घण्टे एक निश्चित समय के लिये फोन दे और खुद भी देखे कि बच्चें पढ़ाई के अलावा अन्य कार्यों में व्यस्त न हो। हमारे विद्यालयों में आने वाले सभी बच्चों के पास अभी पूरी सुविधाये नही है, फिर भी उनके उत्साह को देखते हुए अभी तक इन बच्चों की ऑनलाइन पढ़ाई का सफर जारी है।
बच्चो के कोर्स की किताबें ऑनलाइन मिल गया है, जिससे मैं इन बच्चों को डेली गतिविधि के द्वारा पढ़ा रही हूँ। इस बीच बच्चो ने कितना सीख, इस बात को जानने के लिए ऑनलाइन टेस्ट भी लिए और पासआउट बच्चो को सर्टिफिकेट भी प्रदान किये जोकि उन्हें व्हाट्सएप के जरिये भेजे गए।
बच्चो के बीच कई तरह की ऑनलाइन प्रतियोगिता भी कराई जैसे कोरोना पर पोस्टर बनाना, mothers day पर पोस्टर बनाना, विश्व पर्यावण दिवस आदि। बच्चो ने पूरे उत्साह से इन सभी प्रतियोगिताओं के नियमो को पढ़ के इनमे प्रतिभाग किया और सर्टिफिकेट मिलने पर इनका और बेहतर करने का मनोबल भी बढ़ा। अभी आने वाले दिनों में ये बच्चे “मेरा गांव” विषय पर निबंध लिखने की तैयारी कर रहे है। मुझे उम्मीद ही नहीँ वरन पूरा विश्वास है कि सभी बच्चे और बेहतर करेंगे।
कुछ बच्चो को पढ़ाई के दौरान नेट की प्रॉब्लम भी रही कि मैडम कैसे वर्क करे तो जहाँ तक मुझसे सम्भव हो सका मैंने इन बच्चों की मदद की ताकि बच्चे की पढ़ाई न रुक पाए।
इसी बीच पी. टी. एम. भी हुई जिसमें बच्चो के अभिभावकों से बच्चो की पढ़ाई के अनुभव भी साझा किए। सभी का सकारात्मक रूप देखने को मिला। कुछ अभिभावकों का कहना था कि मैडम हम भी सिख रहे है। मुझे अच्छा लगा जानकर कि कई अभिभावक अपने बच्चों के बारे में अवेयर है। इन सबके साथ सभी बच्चों की आशा भी जगी है कि जल्द विद्यालय खुले परंतु सबसे पहले ये कोरोना वैश्विक महामारी जल्द से जल्द खत्म हो।