कोरोना संकट के दौरान अचानक से सबकुछ बंद हो गया। स्कूल जाना बंद हो गया। स्कूल और बच्चों से दूर हम अपने अपने घरों में बैठे थे। इस अवधि में स्कूल को काफी मिस कर रही थी। फिर अचानक कुछ साथियों द्वारा ऑनलाइन क्लास की शुरुआत की गयी। उन्हें देखकर मुझे भी प्रेरणा मिली कि क्यों न मैं भी बच्चों से संपर्क करूँ और उन्हें पढाउ।


सौभाग्यवश मेरे पास स्कूल की दाई का नंबर था तो मैंने उनसे संपर्क किया। वहाँ से मुझे 4 से 5 बच्चों के नंबर मिल पाये। मैं उन्हें ऑनलाइन पढ़ाने के लिए बहुत उत्साहित थी। जब बच्चों से बात की तो वो पूछने लगे मैडम ऑनलाइन तो प्राइवेट स्कूलों के बच्चे पढ़ते हैं। हमलोग कैसे पढ़ पाएंगे? हमें तो कुछ नहीं आता। उनकी बातों ने मुझे निःशब्द कर दिया।
        फिर मैंने उन्हें समझाया, ‘तुमलोग किसी से कम हो क्या?  Online पढ़ना बहुत ही सरल है। मैं तुमलोगों को कुछ काम दूंगी और audio भेज के बताऊंगी कि क्या करना है! फिर तुमलोग काम कर के फ़ोटो भेजना।‘
पहले बच्चे डर रहे थे। फिर धीरे धीरे एक सप्ताह के बाद उन्हें समझ आने लगा और वो ऑनलाइन क्लास का आनंद लेने लगे। अब बच्चे समय से पहले ख़ुद मैसेज करते हैं कि मैडम आज क्या पढ़ाएंगी?
     मैंने क्लास को रुचिकर बनाने के लिए सप्ताह में एक दिन Art and Craft और विज्ञान मॉडल के लिए रख दिया ताकि इससे बच्चे कला से जुड़े रहें और विज्ञान मॉडल बनाने से उनमें वैज्ञानिक सोच विकसित हो सके। इन सबसे वे कुछ नया करने के लिए अग्रसर हों।
साथ ही मैंने कुछ जागरूकता प्रोग्राम भी चलाये। विशेष रूप से Save water Save Life, How to Defeat Corona, Against Child labour जैसे विषयों पर बच्चों के साथ गतिविधियों को संचालित किया। इसमें मैंने उन्हें जानकारी दी और पोस्टर बनवाये। इन प्रयासों का भी काफी असर देखने को मिला। कोरोना से बचने से सम्बंधित बाते इसलिए भी बताई ताकि उनके अभिभावक भी लाभान्वित हो सकें।

                                                बाल श्रम दिवस पर जागरुकता पोस्टर

इसके साथ ही मैंने अभिभावकों के साथ विडियो कॉल पर बात भी की ताकि उनसे ऑनलाइन क्लास का फीडबैक ले सकूँ। विडियो कॉल से बात करके अभिभावक बहुत खुश दिखे। मेरे लिए भी ये नया अनुभव था।
       मेरी इस पहल से बच्चे मुझसे जुड़ने लगे। उन्होंने अपने आस पास के बच्चों को बताया कि ऑनलाइन क्लास बहुत अच्छी और सरल है। घर बैठे हम बहुत कुछ सीख सकते हैं। इससे और बच्चे हमारे ग्रुप से जुड़े और पढ़ने लगे।
ऑनलाइन क्लास का फ़ायदा मुझे और मेरे बच्चों, दोनों को हुआ। मैने ICT का प्रयोग और बेहतर तरीके से करना सीखा। बच्चों को एजुकेशनल एप, विडियो के जरिये पढ़ाना बहुत रोचक लग रहा है। हमारे विद्यालय में ऑनलाइन नवीन नामांकन भी हुए।  लॉकडाउन में की गयी गतिविधियों से हमारे स्कूल को नई पहचान भी मिली। ऑनलाइन शिक्षा पहुंचाने की हमारी कोशिश से लोगों की सोच सरकारी स्कूल के बारे में बदली है। 
यह देखना काफी सुखद है कि आज हम घर बैठे बच्चों से जुड़े हुए हैं। मेरी कोशिश होगी कि मै लॉकडाउन के बाद भी ऐसी गतिविधियों को जारी रख सकूँ ताकि हमारे बच्चें पढाई पर और अधिक ध्यान दे सकें।
तूबा आसिम (स.अ.)
प्राथमिक विद्यालय गंगापुर
अराजीलाइन्स, वाराणसी

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