मार्च 2020,बात उस समय की है जब हम सभी शिक्षक एवं छात्र ,छात्राएं अपनी अपनी तैयारियों में लगे हुए थे।वार्षिक परीक्षाएं सर पर थीं ऐसे में हर कोई वर्ष भर के किए गए कार्यों को अंतिम रूप देने में लगा हुआ था। कुछ शिक्षक बचे हुए पाठ्यक्रम को पूरा करने में लगे हुए थे तो कुछ बच्चों के पठन पाठन संबंधी परेशानियों को दूर करने में लगे थे। समयानुसार मैं भी पुनरावृत्ति के कार्य में लगी हुई थी जिससे कोई कसर न रह जाए और बच्चे उनके द्वारा किए गए परिश्रम का पूरा फल वार्षिक परीक्षा में प्राप्त कर सकें। परंतु हमें क्या पता था कि इन जोर शोर से चलने वाली तैयारियों को कोरोना का ग्रहण लगने वाला है।
कोरोना रोग के बारे में दूरदर्शन एवं अन्य माध्यमों से यह तो पता चल चुका था कि यह असाध्य रोग पहले चीन और फिर इटली आदि देशों में फैल चुका है और लाखों लोगों को अपना शिकार बना चुका है। इससे संबंधित खबरें हम रोजाना अखबारों में, मोबाइल पर टीवी आदि पर देख ,सुन रहे थे परन्तु यह एक दिन अपने देश में भी अपने पांव इस कदर पसार लेगा इसकी उम्मीद हमने कभी नहीं की थी।
16 मार्च 2020 को कोरोना के भयावह परिणामों से बचाव के लिए विद्यालय बंद कर करने की घोषणा हुई विद्यालय बंद होने की घोषणा सुनकर हम सभी आश्चर्य और परेशानी में पड़ गए क्योंकि एक हफ्ते बाद से ही वार्षिक परीक्षाएं होनी थी। अब आगे क्या होगा ??
कुछ बच्चों को ऐसा लगा जैसे उन्हें तैयारी के लिए अवकाश दिया गया हो परंतु यह अवकाश, वह अवकाश नहीं था। यह वह समय था जब हम पहली बार ‘लॉक डाउन’ जैसे शब्द से परिचित हुए। इसका असल मतलब क्या है यह जान पाए। लॉक डाउन -01 लगने पर बच्चों को भी लगा कि उन्हें वार्षिक परीक्षा की तैयारी के लिए अतिरिक्त समय मिल गया है। हो सकता है परीक्षा की तिथियां आगे बढ़ा दी जाएं! हम सब भी ऐसा ही सोच रहे थे। इसलिए हमने बच्चों को निर्देशित कर दिया कि वे घर पर ही अपनी तैयारी जारी रखेंगे और समाचार पत्र एवं दूरदर्शन समाचार देखते रहें ताकि उन्हें वस्तु स्थिति का ज्ञान हमेशा प्राप्त होता रहे। परंतु कोरोना ने तो दुनिया की स्थिति पहले ही खराब कर दी थी। चीन और इटली की खबरें हम पढ़ते ,सुनते आ रहे थे। अब तो हमारे देश में भी रोज नए नए कोरोना केस मिलने शुरू हो गए थे, जिससे हमारी चिंता और बढ़ गई।
यह तय हो गया विद्यालय नहीं खोले जा सकेंगे अन्यथा बच्चों में संक्रमण का खतरा सबसे ज्यादा हो जाएगा। शासन से बच्चों को अगली कक्षा में प्रोन्नत करने का विचार समाचार में आ रहा था एवं शिक्षकों को पाठ्यक्रम की पुनरावृत्ति कराने का आदेश भी आ गया, जैसा कि हम विद्यालय में कर रहे थे। बच्चे हताश थे! उन्हें कुछ समझ नहीं आ रहा था कि यह सब क्या हो रहा है! ऐसे में उन्हें कोरोना से बचाव के तरीकों के बारे में बताना हमारा पहला कर्तव्य बन गया।
हमारे विद्यालय में बच्चों के फोन नंबर की एक लिस्ट थी जिसकी मदद से हमने बच्चों से संपर्क स्थापित करना प्रारंभ किया। कुछ बच्चों से संपर्क हो पाया। कुछ से नहीं। कुछ के मोबाइल नंबर पुराने हो चुके थे। ऐसे में हमारे विद्यालय प्रबंध समिति के सदस्य श्री बाल किशुन जी से हमें काफी मदद मिली, जो कि एक बच्ची के अभिभावक भी हैं। उन्होंने गांव के ऐसे बच्चों को जिनके पास एंड्रायड फोन नहीं है उन्हें भी हम से जोड़ने का सफल प्रयास किया, इसके लिए मैं उनकी आभारी रहूंगी।
आज के समाज में हमें ऐसे ही जिम्मेदार अभिभावकों की आवश्यकता है। इसके पहले बच्चों ने ऑनलाइन शिक्षण अधिगम के बारे में नहीं सुना था और इस क्षेत्र में हमारा भी यह पहला अनुभव ही था। एंड्रॉयड फोन रखने वाले बच्चों (अभिभावक) का एक वाट्सएप ग्रुप का निर्माण किया गया, जिससे हम सभी अध्यापक भी जुड़े हुए थे। इस ग्रुप पर हम नित्य कक्षावार पढ़ाए गए पाठों की पुनरावृत्ति कराने लगे। आवश्यकता अनुसार वीडियो कॉल की भी मदद लेते हुए पाठ को पूरा किया गया। इस प्रक्रिया में सबसे अधिक उपयोगी साबित हुआ ‘दीक्षा एप’, जिस पर सभी पाठों से संबंधित रोचक वीडियो है जिसके माध्यम से पाठ को आसानी से सीखा जा सकता है। पाठ को पढ़ाते समय उससे संबंधित वीडियो हम ‘दीक्षा’ एप से डाउनलोड करके बच्चों तक पहुंचाते हैं। अभिभावकों को भी हमने ‘दीक्षा ‘एप डाउनलोड करवाया है एवं उसे उपयोग करना बताया, जिससे पाठ को समझना आसान हो गया।
लॉक डाउन में टीवी और रेडियो भी विशेष भूमिका निभा रहे हैं। दूरदर्शन एवं रेडियो पर चलने वाले ‘आओ अंग्रेजी सीखें’ एवं दैनिक सीखने की सामग्री का उपयोग बच्चों को बताया गया है। इस समय दूरदर्शन सभी कक्षाओं के लिए लगातार दस बजे से दो बजे तक शैक्षिक कार्यक्रम प्रस्तुत कर रहा है जिसके बारे में ग्राम वासियों को बताया गया है। बच्चे शनिवार को होने वाली पाठ्य सहगामी गतिविधियों में बढ़ चढ़कर हिस्सा लेते थे। ऑनलाइन शिक्षण में इसके लिए हमने बच्चों को बहुत प्रोत्साहित किया कि वे पाठ्य सहगामी क्रियाएं भी जारी रखें। शिल्प कला (आर्ट एंड क्राफ्ट ), चित्र कला (ड्राइंग ) आदि से संबंधित छोटे वीडियो बनाकर हमने बच्चों को प्रेषित किए। इसका बहुत अच्छा अनुसरण बच्चों ने किया एवं उससे सीख कर बच्चों ने भी कुछ अच्छे कला के नमूने तैयार किए। इसमें चित्रकला, मिट्टी से तैयार मूर्तियां, खिलौने, कागज से तैयार क्राफ्ट आदि प्रमुख हैं।
इन सभी कार्यों के पीछे हमारे नवनियुक्त बीएसए सर माननीय श्री राकेश सिंह जी का मैं हृदय से धन्यवाद करना चाहूंगी जिनके उत्साहवर्धन से यह सब संभव हो सका। अभी भी बहुत से ऐसे बच्चे हैं जिनके पास फोन की सुविधा नहीं है। उन्हें जोड़ने के लिए हम सदैव प्रयासरत हैं।
मैं उन सभी अभिभावकों का भी धन्यवाद करती हूँ जिनकी सहायता से ऑनलाइन शिक्षण कार्य आज भी चल रहा है। कोरोना अपने साथ बहुत बुरा समय लेकर आया, परन्तु आनलाइन शिक्षण अधिगम की यह नयी विधा हमें देकर गया है। यकीन मानिए विषय चाहे कोई भी हो। चाहे कविता सुनानी हो या कोरोना से बचाव के बारे में बताना हो, बच्चे स्वयं ही अपना विडियो चुटकियों में बना ले रहे हैं। इसे देखकर बहुत खुशी होती है।
नेहा द्विवेदी (स.अ.)
प्रा.वि.परमन्दापुर आ.ला.,वाराणसी