हम लोगों ने सुना था दूरस्थ शिक्षा या विद्यालय से दूर रहकर भी पढ़ाई। लेकिन कोरोना वैश्विक महामारी में, हमने दूरस्थ शिक्षा को करीबी से महसूस किया। महामारी की वजह से हर चीज, हर जगह को बंद कर दिया गया। किसी भी आपदा में सबसे पहले प्रभावित होने वाले हमारे बच्चे, उनका विद्यालय तो नया सत्र शुरू होने से पहले ही बंद हो गया था। इस वजह से उनकी पढ़ाई पूरी तरह ठप हो गई। विद्यालय, कोचिंग सेंटर, ट्यूशन सभी बंद होने के साथ ही घर में भी अभिभावक और कोरोनावायरस के कारण बच्चों के पढ़ाई में टाइम नहीं दे पा रहे थे। ऐसे में बहुत सारे लोगों ने अपने- अपने तरीके से अपने नौनिहालों, अपने बच्चों से जुड़ने का सोचा जिससे शिक्षकों की भी गति बनी रहे और बच्चे भी लाभान्वित हो।  



इसी कड़ी में “Teachers of Bihar” फेसबुक समूह ने SOM यानी “स्कूल ऑन मोबाइल” कार्यक्रम की शुरुआत की, जिसमें पहले 6 से 8 के बच्चों के लिए बिहार शिक्षा परियोजना के पाठ्यक्रम के आधार पर सभी विषयों की ग्रुप से ऑनलाइन पढ़ाई की योजना बनाई गई। इसके लिए कुछ शिक्षकों का चयन किया गया। इसी कड़ी में मैं 8 वीं कक्षा के सामाजिक विज्ञान को प्रतिदिन फेसबुक समूह पर 12:15 पर लाइव आती थी। बच्चों को प्रेरित करती थी कि बच्चे ग्रुप से जुड़े और लाभान्वित हो सके। अभिभावकों के द्वारा बच्चों को फोन दिया गया। जुड़ने लगे। बताने लगे- मैं पूजा, मैं हरिओम, मैं श्रेया-हमें पढ़ाई में मजा आ रहा है इत्यादि।

ज्यादा से ज्यादा बच्चे कॉमेंट्स में अपने विचार रखने लगे। प्रश्न पूछने लगे। लॉकडाउन प्रक्रिया के कारण मैं बिहार की शिक्षिका गाजियाबाद में फंसी। मेरे पास पाठ्यपुस्तक लेशन प्लान के लिए नहीं था। चौक, बोर्ड इत्यादि की कमी से भी जूझ रही थी। फिर ऑनलाइन बुक डाउनलोड किया। भाई के कंप्यूटर का सहारा लेकर लाइव क्लास में बच्चों को मानचित्र, फोटो इत्यादि कैमरे से मोबाइल के कैमरे से दिखाने लगी। साथ ही रोज 30 मिनट का लाइव क्लास में जो बच्चे जुड़ते थे और जो उस समय नहीं जोड़ पाते थे, वह बाद में ग्रुप में SOM क्लिक कर 8वीं कक्षा के सारे वीडियो को कभी भी देख और सीख सकते थे।

कई शिक्षाविदों द्वारा वीडियो शेयर कर बच्चों तक पहुंचाने का प्रयास किया गया। व्हाट्सएप ग्रुप में भी लाइव वीडियो को शेयर कर ज्यादा बच्चों तक पहुंचाने का प्रयास किया गया । बच्चों के फीडबैक, होमवर्क आने लगे। इस तरह फेसबुक ग्रुप पर लाइव क्लास के द्वारा हमने कोशिश किया कि हमारे बच्चे पढ़ाई की कमी को महसूस ना करें। बच्चे आनंदित हो, क्लास से जुड़े तथा व्यस्त रहें ताकि उन्हें कोरोना जैसी आपदा में भी एक गति का अहसास होते रहे। उनका सिलेबस पूरा हो सके।

हमारे ऑनलाइन क्लास में विषय गत के अलावा, नैतिक शिक्षा, अच्छे विचार, समावेशी शिक्षा की जानकारी जैसी कई बातों को सारे बच्चों तक पहुंचाने का प्रयास किया। बच्चों के द्वारा पूछे गए प्रश्नों का उत्तर बच्चों को स्पष्ट रूप से दिया जाने लगा । बच्चे किसी भी राज्य, किसी भी विद्यालय से हो, उनके लिए ओपन ग्रुप में लाइव क्लास चलता था  ताकि ज्यादा से ज्यादा बच्चे लाभान्वित हो सकें।

इस स्थिति में स्कूल का माहौल अपने बच्चों से जुड़ने का प्रयास सफल रहा। उत्साहित होकर जब बच्चे गुड मॉर्निंग के साथ लाइक करते थे तो हमारे शिक्षण कौशल में, हमारे आत्मविश्वास में वृद्धि होने लगा। हमने ऑनलाइन कक्षा से होने वाले हानियों के बारे में बच्चों को सतर्क करते हुए, उन्हें उनके पाठ्यक्रम से जोड़ा। उन्हें नए-नए किताबों से परिचय कराया। उनको बात रखने का मौका दिया और शिक्षा वन वे होते हुए भी बाल केंद्रित हो, यह ध्यान रखा गया।

कम संसाधनों में भी छोटे-मोटे टीएलएम(टीचिंग लर्निंग मटेरियल) का प्रयोग करते हुए, ऑनलाइन लाने का प्रयास अनुपम एहसास है। वर्ग कक्ष में हम शिक्षक बच्चों के बीच कितना आनंद महसूस करते हैं। ऑनलाइन कक्षा में भी हमने बच्चों से जुड़ाव महसूस किया। बच्चों के लिए जब लाइव प्रश्नोत्तरी कार्यक्रम कराया गया तो बच्चों ने एक अलग ही उत्साह दिखाया और ज्यादा से ज्यादा प्रश्नो का जवाब बच्चो के द्वारा मिला। बच्चों को मजा आता है-ऐसा कहा बच्चों ने। मतलब  ज्यादा जानने की इच्छा एक अलग विश्वास पैदा किया मेरे अंदर। मुझे लगा कि सचमुच जहां चाह वहां राह आसान हो जाती है अर्थात हम आपदा को भी अवसर बना ले तो हर राह आसान हो जाती है क्योंकि वक्त किसी के लिए नहीं रुकता।

लॉकडाउन में बच्चों के बीच नहीं जा सकते थे लेकिन ऑनलाइन लाइव क्लासेज के कारण बच्चों से दूर भी नहीं थी। बच्चों के साथ हमने फेसबुक लास्ट के 50 दिन बच्चों के सिलेबस के अनुसार पूरा किया। वक्त ने जो परेशानी बच्चों की पढ़ाई के लिए खड़ी किया, उसे हम लोगों ने कम करने की कोशिश की ताकि बच्चे सीख सके सके। मुश्किल परिस्थिति में भी हमें रुकना नहीं है और इससे कठिन माहौल में भी एक नई उर्जा भर दिया  हमारे अंदर। हमने संसाधनों की कमी, कठिन परिस्थिति सब को भुला बस अपने देश के भविष्य के लिए लाइव क्लास शुरू किया।

लगातार 50दिन क्लास के बाद  बच्चों के मनोरंजन के लिए गर्मी छुट्टी यानी पढ़ाई से ब्रेक दिया गया ताकि फिर से बच्चे नई उत्साह के साथ लाइव क्लास में जुड़ सकें। घर में अपने बच्चों को भी, जो स्कूल नहीं जा पा रहे हैं, उनको भी समय के साथ उनके पाठ्यक्रम पूरा करवाया। वैश्विक महामारी के कारण जो शैक्षणिक गति में  कमी आ रही थी, मेहनत लगन से हमने पूरा किया और अपने घर के साथ फेसबुक पर शामिल सभी बच्चों को शिक्षा से जोड़ने का काम किया।

इस कठिन घड़ी में हमने हौसलों को उड़ान दिया। हमने रुकने ना दिया। हमने थमने ना दिया अपनी गति को। मुझे गर्व है कि मैं SOM का हिस्सा बनी और शिक्षा में अपना योगदान दिया। कठिन परिस्थिति में भी रुकी नहीं और अभी मैं शैक्षणिक वीडियो फेसबुक पर अपलोड करती रहती हूं। व्हाट्सएप में बच्चों को जोड़कर उसे भेजती हूं।

हम लोग शिक्षक हैं, इसलिए हर परिस्थिति में शिक्षा के साथ रहेंगे। ऐसे हौसले के साथ हमारा यह समय  शैक्षणिक गतिविधियों में ही गुजरती है। कुछ नया सीखती हूं। कुछ सिखाती हूं  क्योंकि समय अनमोल और अमूल्य है। बीत जाने के बाद वापस नहीं आता। इसलिए अच्छे समय का इंतजार ना करते हुए, हम बच्चों से जुड़े रहें और जुड़े हैं। कोरोना जैसी कठिन महामारी में भी हम लोग शिक्षा से जुड़े हैं।

चांदनी झा
मध्य विद्यालय बिहमा
तारापुर, मुंगेर (बिहार)

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