
पर्यावरण मित्र शिक्षक : मिलिए योगेन्द्र सिंह से
2 अक्टूबर, 2016 से उन्होंने आजीवन श्वेत रंग के वस्त्रों को धारण करने का निश्चय किया है। वे जब भी विद्यालय जाते हैं या शासकीय कार्य से कहीं भी जाते हैं तो सदैव श्वेत रंग के वस्त्रों को ही धारण करते हैं। उनका मानना है कि उनके इस प्रण ने उनके विद्यार्थियों और अभिभावकों के भीतर भी अनुशासन लाया है।
नेल्सन मन्डेला ने कहा था – “शिक्षा सबसे शक्तिशाली हथियार है, जिसका प्रयोग आप दुनिया को बदलने में कर सकते हैं ।”
अगर दुनिया से बुराइयों को खत्म करना है और इस दुनिया को रहने के लिए एक सुन्दर स्थान बनाना है, तो सबसे आवश्यक है शिक्षा। शिक्षा हर उस व्यक्ति तक पहुँचाना, जो इसकी पहुँच से दूर है क्योंकि उसके जीवन को बेहतर बनाने के लिए सबसे ज़्यादा इसकी आवश्यकता है। ऐसे कई शिक्षक है हमारे समाज में ज्ञान की रौशनी को हर बच्चे तक पहुँचाने का निश्चय कर लिया हैं । ऐसे ही एक शिक्षक है नरसिंहपुर, मध्य प्रदेश के शासकिय माध्यमिक शाला, खेरुवा के प्रधान अध्यापक योगेन्द्र सिंह।

योगेंद्र सिंह की नियुक्ति नरसिंहपुर में वर्ष 2001 में शिक्षक के रूप में हुई। बीते दो दशकों में योगेन्द्र सिंह ने अपने स्कूल के विकास और छात्रों की शिक्षा के लिए कई कार्य किये।
सदैव पहनते है श्वेत रंग के वस्त्र
योगेन्द्र सिंह सदैव श्वेत रंग के वस्त्र ही पहनते है। उनका मानना है कि जब शिक्षक एक अनुशासन में रहेग तभी वो छात्रों को भी अनुशासन का महत्व समझा पाएगा। महात्मा गाँधी से प्रेरणा लेकर उन्हीं की जयन्ती 2 अक्टूबर, 2016 से उन्होंने आजीवन श्वेत रंग के वस्त्रों को धारण करने का निश्चय किया है। वे जब भी विद्यालय जाते हैं या शासकीय कार्य से कहीं भी जाते हैं तो सदैव श्वेत रंग के वस्त्रों को ही धारण करते हैं। उनका मानना है कि उनके इस प्रण ने उनके विद्यार्थियों और अभिभावकों के भीतर भी अनुशासन लाया है।

स्वयं प्रतिदिन शाला में एक अनुशासित गणवेश धारण करके वे अपने छात्र छात्राओं को भी इसी प्रकार के अनुशासित गणवेश को धारण करने के लिए प्रेरित करते आ रहे हैं। ग्रामीण इलाकों में बच्चे शासकीय गणवेश एवं विद्यालय के अनुशासन का खास ध्यान नहीं रखते। इसी बात से प्रभावित होकर योगेंद्र सिंह जी ने श्वेत वस्त्रों को धारण करने का निर्णय लिया था।

इस प्रकार वे बच्चों को अनुशासित बनाकर उनके भविष्य के लिए एक मजबूत नींव तैयार कर रहे हैं, क्योंकि अनुशासन के मार्ग पर चलना कठिन अवश्य है परंतु सबसे उचित है।
प्रत्येक रविवार करते है वृक्षारोपण
योगेंद्र सिंह की शिक्षा के जरिए समाज परिवर्तन हेतु कार्य तो कर ही रहे है, सामाजिक कार्यों के जरिए भी अपने छात्रों के लिए प्रेरणास्त्रोत बने हैं।
पर्यावरण के क्षेत्र में उनकी विशेष रुचि है। वर्ष 2019 से योगेंद्र सिंह प्रत्येक रविवार को अपने नगर में वृक्षारोपण करने का निश्चय किया है। इसके लिए उन्होंने वृक्षमित्र नाम की एक संस्था की स्थापना की है, जो कि पिछले 85 सप्ताहों से प्रत्येक रविवार नगर के विभिन्न क्षेत्रों में वृक्षारोपण कर रही है।
यह संस्था का कार्य केवल वृक्ष रोपित करने पर खत्म नहीं हो जाता। वे इस बात का पूर्ण ध्यान रखते हैं कि उनके द्वारा लगाए गए पौधों का नियमित रूप से ध्यान रखा जाए, जब तक कि वे विशाल वृक्ष नहीं बन जाते। इस अभियान के जरिए उन्होंने अपने विद्यार्थियों के मन में पर्यावरण के प्रति सम्मान व उनके कर्तव्यों का निर्वहन करवाया है। इस प्रकार किताबी ज्ञान के अतिरिक्त योगेंद्र जी ने अपने छात्रों को सामाजिक व व्यवहारिक ज्ञान की भी शिक्षा प्रदान की है।
विद्यालय स्थापना दिवस पर करते है बाल मेला का आयोजन
शिक्षा केवल किताब के पन्नों तक सीमित नहीं है बल्कि शिक्षा की शुरुआत उन पन्नों से बाहर निकल कर आम जिंदगी में उसे अजमा कर होती हैं। योगेंद्र सिंह ने भी व्यवहारिक ज्ञान व आम जिंदगी में सीखी हुई बातों का उपयोग कर उसके मायने समझने पर अधिक ज़ोर दिया है। इसीलिए वे प्रत्येक वर्ष विद्यालय के स्थापना दिवस 19 दिसंबर को पाठशाला में एक बाल मेले का आयोजन करते हैं जिसमें केवल छात्र ही हिस्सा लेते हैं।

इस बाल मेले में छात्र कई प्रकार की दुकाने लगाते हैं, सामान बेचते हैं और इसके जरिए वे गुणा, भाग जोड़ना, घटाना, फायदे, नुकसान की बातों को बेहतर समझ पाते हैं। इस प्रकार कक्षा के भीतर सीखे गए ज्ञान का आम जिंदगी में प्रयोग कर वे चीजों को जल्दी और ज़्यादा बेहतर समझ पाते हैं। शाला में बेहतर शिक्षा के लिए योगेंद्र सिंह ने खेल के ज़रिये ज्ञान देने पर भी ज़ोर दिया है। साथ ही पुस्तकालय के जरिये छात्रों में पुस्तकें पढ़ने की आदत को भी बढ़ावा दिया है।

शिक्षा केवल चार दीवारों तक सीमित नहीं है और ना ही संसाधनों की मोहताज है। शिक्षा तो वह है जो एक आदर्श राष्ट्र के निर्माण का मार्ग बताएं। जब तक शिक्षा की आवश्यकता का एहसास ना हो तब तक शिक्षित होने की प्रेरणा नहीं मिलती। इसे ध्यान में रखते हुए योगेन्द्र सिंह तकनीकी शिक्षा को भी बढ़ावा दे रहे है। उनके प्रयासों का परिणाम है कि बच्चें खुद ही कंप्यूटर पर सारा हिसाब किताब रखने में सक्षम हुए है।

सामाजिक और व्यावहारिक दोनों ज्ञान से अपने छात्रों को परिपूर्ण कर रहे योगेन्द्र सिंह ना केवल गांव के बच्चों के बच्चों के भविष्य संवार रहे हैं बल्कि समाज में एक आदर्श शिक्षक के रुप में समाज-पर्यावरण हित में भी कार्य कर रहे हैं। sarkarischool.in उनके प्रयासों की सराहना करती है।
(श्रेया नाकाड़े के साथ)