प्रेरक अपर्णा दी
मैं प्राथमिक विद्यालय गोपालपुर सफीपुर उन्नाव में सहायक शिक्षिका के पद पर कार्यरत हूँ।सर्वप्रथम सरकारी स्कूल नामक चैनल का शुक्रिया जो शिक्षकों के उत्साहवर्धन के लिए नित्य प्रेरणादायी कहानियां व मार्गदर्शन लेकर आते हैं।
प्रेरणा दायक शिक्षक के संदर्भ में बात करूं तो मुझे आज भी मेरे विद्यालय की अपर्णा दी याद आती हैं सबसे अच्छी बात यह है कि वो आज भी मेरे संपर्क में हैं।
मेरी कक्षा 8से 10 तक कक्षाध्यापिका रहीं अपर्णा दी बहुत ही मृदुभाषी, प्रतिभावान और सौम्य व्यक्तित्व की थीं हमेशा मुस्कुराते हुए क्लास में आना और आनंद के साथ उनका हिंदी के पद्य और गद्य का विस्तृत विवरण बड़े ही रोचक ढंग से कराना मुझे बहुत अच्छा लगता था।
हमारी अपर्णा दी हमें अनुशासन सदाचार विनम्रता जैसे गुणों को अपने जीवन में प्रयोग के लिए कहती थीं। सदैव सकारत्मकता लिए हुए वो हमें विद्यालय के विभिन्न अवसरों पर होने वाले व जिले में आयोजित होने वाले प्रतियोगिताओं में ले जाती थीं जैसे चित्रकला प्रतियोगिता, मेहंदी प्रतियोगिता, गीता श्लोक पाठन, भाषण प्रतियोगिता, सुलेख प्रतियोगिता, निबंध प्रतियोगिता आदि।
उनकी प्रेरणा से हम सभी साथी हमेशा जीतकर आते भी थे। कभी नही भी आ पाए तो कभी उनसे डांट फटकार नही मिलती थी। हमेशा और अच्छे से मेहनत करो, निश्चय ही सफलता मिलेगी-यही शब्द होते थे उनके।
मैं उनको याद इसलिए भी करती हूँ क्योंकि मेरे जीवन की प्रथम उपलब्धि 10th बोर्ड में उत्तरप्रदेश में मेरिट में 21वां स्थान मिलना मेरी दी की प्रेरणा और आशीर्वाद से ही मिला। मुझे आज भी याद है कि मैं बोर्ड के एग्जाम के पहले बीमार पड़ गयी थी परन्तु मेरा विद्यालय, मेरे विद्यालय की सभी शिक्षिकाओं ने मेरा हौसला बढ़ाया, बहुत सहयोग किया। उन्होनें नोट्स बनाने में मेरी सहायता की। मेरी अपर्णा दी ने भी सकारात्मकता दिखाते हुए मेरी तैयारी करवाई, जिसकी वजह से मुझे सफलता मिली।
मैं आज अगर सहायक शिक्षक के पद पर कार्यरत हूँ तो निश्चित ही मेरी शिक्षिकाओं और माता जी का बहुत योगदान है, जिनकी प्रेरणा से व उनके सिखाये गए अच्छे गुणों को आत्मसात कर मैं आज अपने विद्यालय में भी वही वातावरण व विश्वास के साथ अपने कर्म के प्रति सत्यनिष्ठा से कार्य करती हूँ ।
इस शिक्षक दिवस पर सभी शिक्षकों मेरी तरफ से हार्दिक शुभकामनायें।
तेजोमयी आभा को प्रणाम है
ज्ञान के सागर को प्रणाम है
अज्ञान के अंधकार को दूर करे
ज्ञान की रौशनी का प्रसार करे
उन गुरु की महिमा को प्रणाम है
सूर्य सा तेज जिनकी शोभा है
हर पल मधुर मुस्कान श्रृंगार है
उन गुरु छवि को मेरा प्रणाम है
विद्यार्थी के जीवन की जो दिशा है
सत्मार्ग अनुशासन धैर्य संयम
जिनकी विधा है
ऐसे गुरु को मेरा प्रणाम है
मन में न भेदभाव है
सदविचार का जिसे भाव है
ऐसे कोहिनूर के हीरे को
मेरा शत शत प्रणाम है
सीखने की स्वयं में अभिलाषा है
नेतृत्व की जिसमें कुशलता है
विद्यार्थी की सफलता ही
जिसकी पूंजी है
ऐसे गुरु को मेरा प्रणाम है
हर पल जो साथ साथ है
प्रेरित करता जो हर बार है
आशीर्वाद जिसका अमृत समान है
ऐसे गुरु को मेरा शत शत प्रणाम है.
- हिमांशी यादव (स० शि०), प्राथमिक विद्यालय गोपालपुर, सफीपुर उन्नाव
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