एक ऐसा सरकारी स्कूल जहाँ पढ़ाते है कई देशों के शिक्षक
जहां हिंदुस्तान के कई सरकारी स्कूलों में बच्चों के लिए आज भी पर्याप्त शिक्षक नहीं हैं, वहां अहमदनगर महाराष्ट्र के जिला परिषद प्राथमिक शाला गोपालवाड़ी के विद्यार्थी दुनिया भर के शिक्षकों और विभिन्न क्षेत्रों में महान कार्य करने वाले विद्वानों से शिक्षण प्राप्त कर रहे हैं।
सुनने में कितना अजीब लगता है ना! जहां कई प्राइवेट स्कूलों के विद्यार्थी भी विदेशों के शिक्षकों द्वारा शिक्षा नहीं प्राप्त कर पाते, वहां यह आश्चर्य जैसा लगता है कि एक सरकारी स्कूल के बच्चे दुनिया भर के शिक्षकों से विभिन्न विषयों पर ज्ञान प्राप्त कर रहे हैं। यह सब कुछ संभव हुआ है विद्यालय के शिक्षक श्री नारायण चंद्रकांत मंगलाराम की बदौलत।
नारायण मंगलाराम का मानना है कि टेक्नॉलॉजी के उपयुक्त प्रयोग से हम शिक्षा प्रणाली को और भी बेहतर और सुदृढ़ बना सकते हैं। उनकी माने तो टेक्नोलॉजी के माध्यम से छात्रों और शिक्षकों को जोड़कर शिक्षित करना ही शिक्षण की सर्वोत्तम प्रणाली है।
नारायण मंगलाराम एक माइक्रोसॉफ्ट इन्नोवेटिव एजुकेटर एक्सपर्ट (एम आई ई ई) हैं। वे न केवल आधुनिक टेक्नोलॉजी के प्रयोग के साथ शिक्षण का कार्य करते है बल्कि अन्य साथी शिक्षकों को भी ऐसा करने के लिए विभिन्न माध्यमों से प्रेरित करते है।
चंद्रकांत मंगलाराम कई वर्षों से अपने विद्यालय में आधुनिक तकनीक की मदद से अपने छात्रों को शिक्षक कर रहे हैं और 2019-20 में वे माइक्रोसॉफ्ट इन्नोवेटिव एजुकेटर एक्सपोर्ट बने।
माइक्रोसॉफ्ट स्काइप के उपयोग से नारायण जी अपने विद्यार्थियों को रूस,कोरिया, ऑस्ट्रेलिया, जापान जैसे विश्व के 20 से भी अधिक देशों के विद्यार्थियों और शिक्षकों के साथ सम्मिलित कर शिक्षण प्रदान करते हैं। इस वजह से उनके विद्यालय के छात्र न केवल किताबी ज्ञान अपितु व्यावहारिक ज्ञान भी अर्जित कर पाते हैं। इस तरह के शिक्षण ने बच्चों को पढ़ाई से और अधिक जोड़े रखा है। वे इस शिक्षण प्रणाली को सामान्य शिक्षण प्रणाली से ज्यादा रुचि के साथ पढ़ रहे हैं।
तकनीकी शिक्षा प्रणाली के अतिरिक्त गोपालवाड़ी के विद्यालय में छात्रों को प्रतिदिन नवाचार के माध्यम से शिक्षित किया जाता है। कभी खेल-खेल में जीवन मूल्य सिखाए जाते हैं तो कभी व्यवहारिक ज्ञान के जरिए विद्यार्थियों को पाठ सिखाए जाते हैं। यहां तक की शिक्षकों को भी उसी भांति प्रशिक्षित किया जाता है जिस तरह उन्हें आगे चलकर विद्यार्थियों को सिखाना है।
इस विद्यालय के छात्रों ने विश्व के 20 देशों के विद्यार्थीयों के साथ मिलकर वन्यजीव संरक्षण पर एक प्रोजेक्ट पर भी कार्य किया है। एन.सी.ई.आर.टी. द्वारा भी इस विद्यालय को मॉडल स्कूल की श्रेणी में रखा गया है।
नारायण अपने विद्यालय को आधुनिक तकनीकों के माध्यम से नवीन रूप प्रदान करना चाहते हैं, ताकि वे अपने विद्यालय के छात्रों को एक उज्जवल भविष्य दे सकें और अपने प्रयासो से वे यह स्वप्न पूरा भी कर रहे हैं। उनका परिश्रम, शिक्षा की तरफ उनकी कर्तव्यनिष्ठा; गोपालवाड़ी के छात्रों के लिए एक बेहतर कल तैयार कर रही हैं।
नारायण जी के इस कृत्य के लिए इस शिक्षक दिवस 5 सितंबर, 2020 को उन्हें राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार से सम्मानित किया गया। पुरस्कार मिलने से आह्लादित नारायण ने इसे उन शिक्षकों को समर्पित किया, जो सुदूर क्षेत्रों में कार्य कर रहे है।
शिक्षक तो कई होते हैं परंतु छात्रों की आवश्यकता और उनके लिए क्या बेहतर है यह विचार करने के बाद शिक्षा प्रदान करने वाले शिक्षक बहुत कम ही होते है, नारायण जी उन्हीं में से एक है। आज के इस बदलते हुए विश्व में टेक्नॉलॉजी का क्या योगदान है, यह हम सब जानते हैं। जिस प्रकार से शिक्षा के क्षेत्र में टेक्नोलोजी का सही इस्तेमाल करके नारायण जी स्कूली शिक्षा को एक नई दिशा दे रहे हैं, जहां सिर्फ किताबी ज्ञान नहीं बल्कि व्यावहारिक ज्ञान और बच्चे की रचनात्मकता पर भी बराबर ध्यान देकर उनका विकास किया जा रहा है। हम सबको नारायण जी के इस कार्य से प्रेरणा लेकर अपनी शिक्षा पद्धति में भी आवश्यक बदलाव लाने की आवश्यकता है।
(With Shreya Nakade)
Video Credit : PIB, NIC