मोहम्मद फ़रहीम – एक ऐसे शिक्षक की कहानी जिसने अपनी सारी जमा पूंजी अपने छात्रों पर लगा दी

अपर प्राइमरी स्कूल कटरा ब्लॉक का ऐसा पहला मॉडल स्कूल बन गया है जहां अंग्रेजी माध्यम में शिक्षण की सुविधा उपलब्ध है, जिसके फलस्वरूप निजी विद्यालयों में पढ़ने वाले छात्र-छात्राएं भी अब फरहीम जी के सरकारी स्कूल में अपना दाखिला करवा रहे हैं।

कहते है कि एक सच्चा शिक्षक वह होता है जो अपना सम्पूर्ण ज्ञान और क्षमता अपने शिष्य के भविष्य को निखारने में लगा दे। ऐसे ही एक शिक्षक है प्राइमरी स्कूल कटरा, जनपद प्रतापगढ़ के मोहम्मद फरहीम जी की, जिन्होंने अपना जीवन ही नहीं बल्कि अपनी सारी जमा पूंजी भी अपने शिष्यों को पढ़ाने एवं उन्हें उनके अपने लक्ष्य को पाने में लगा दी। उन्हें वर्ष 2020 के लिए उत्तर प्रदेश सरकार ने अपने सर्वोच्च शिक्षक पुरस्कार राज्य शिक्षक पुरस्कार के लिए भी चयनित किया गया है।

तकनीकी संसाधनों से किया विद्यालय को लैस

2014 में फ़रहीम जी सहायक शिक्षक के रूप में अपर माध्यमिक शाला कटरा में पदस्थ हुए। वे वर्ष 2017 से ही लगातार शिक्षा अधिकारियों के सहयोग से विद्यालय में आईसीटी बेस्ड एजुकेशन के विकास की ओर कार्यरत है।

फरहीम जी के विद्यालय में सोलर पैनल ,स्मार्ट क्लास व प्रोजेक्टर किसी भी चीज की कमी नहीं है। जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी श्री बीएन सिंह जी की प्रेरणा से ही फ़रहीम जी ने कायाकल्प के इस कार्य को पूर्ण किया है और इसी के चलते विद्यालय में स्मार्ट क्लास व डिजिटल क्लास का भी आरंभ हुआ। नतीजा कई बच्चे दूसरे विद्यालयों से नाम कटवा कर इस विद्यालय में दाखिला ले रहे हैं।

यह सरकारी विद्यालय किसी भी प्राइवेट विद्यालय से कम नहीं है। यहां आज की तारीख़ में सारी तकनीकी विशेषताएं हैं जो कि किसी प्राइवेट स्कूलों में मिलती है। विद्यालय में 6 स्मार्ट क्लास,
5 कंप्यूटर, 2 लैपटॉप, 6 स्पीकर, 4 माइक, बायोमैट्रिक फिंगरप्रिंट सिस्टम व अन्य कई तकनीकी सुविधाएं उपलब्ध है। इनमें से कई वस्तुएं तो जिले के डिस्टिक मजिस्ट्रेट द्वारा स्कूल को मुहैया कराई गई है। इस प्रकार अपर प्राइमरी स्कूल कटरा ब्लॉक का ऐसा पहला मॉडल स्कूल बन गया है जहां अंग्रेजी माध्यम में शिक्षण की सुविधा उपलब्ध है, जिसके फलस्वरूप निजी विद्यालयों में पढ़ने वाले छात्र-छात्राएं भी अब फरहीम जी के सरकारी स्कूल में अपना दाखिला करवा रहे हैं।

5 साल में नामांकन 92 से बढ़कर हुआ 252

विद्यालय में तकनीकी संसाधनों का प्रयोग आसान नहीं था क्योंकि फ़रहीम जी और अन्य शिक्षक टेक्नोलॉजी से अच्छी तरह परिचित नहीं थे। परंतु बच्चों को बेहतर शिक्षा देने की चाह ने शिक्षकों से सारे नामुमकिन लगने वाले कार्य करवा लिये। उनके सभी साथी शिक्षक – श्री मनोज कुमार, श्री पितामह यादव, श्री अजीत प्रताप सिंह, श्रीमती शिखा श्रीवास्तव, श्रीमती आशा मिश्रा, श्री प्रवीण कुमार ने कड़ी मेहनत से चुनौतियों को हराकर शिक्षा को जीत दिलाई है। इसी के फलस्वरूप आज विद्यालय इतनी अग्रीम स्थिति में है।

2015 में जब उनकी नियुक्ति हुई तब विद्यालय के भौतिक संसाधन पर्याप्त नहीं थे। यहां तक कि बच्चे नीचे जमीन पर बैठ कर पढ़ाई किया करते थे। परंतु आते ही फ़रहीम जी ने भौतिक संसाधनों के विकास का कार्य प्रारंभ कर दिया और विद्यालय में निजी विद्यालय की तरह सभी सुविधाएं उपलब्ध कराई।

फ़रहीम जी और विद्यालय प्रशासन के सहयोग से ही आज विद्यालय में नामांकित छात्रों की कुल संख्या 252 हो चुकी है जो कि 2015 में केवल 92 थी। यहां तक की अब जब स्कूल बंद है, ऑनलाइन कक्षाओं के माध्यम से स्कूल को नये नामांकन प्राप्त हुए हैं। बच्चों के बेहतर शिक्षण के लिए विद्यालय बच्चों को पूर्ण पारिवारिक माहौल देने का प्रयास करता है । फ़रहीम जी विद्यालय में प्रत्येक बच्चे का जन्मदिन उत्साह से मनाते हैं और प्रत्येक छात्र के प्रति एक अभिभावक व मार्गदर्शक का भाव रखते हैं।

बच्चों की उपलब्धियां बढ़ाती है विद्यालय की शान

विद्यालय के छात्रों ने साइंस, टेक्नोलॉजी, कला जैसे अन्य कई क्षेत्रों में बड़ी कामयाबी हासिल की है। 2018 मे राज्य स्तरीय सांस्कृतिक कार्यक्रम में विद्यालय को दूसरा स्थान मिला है। इसी विद्यालय के एक छात्र ने राष्ट्रीय विज्ञान प्रतियोगिता में भी दूसरा स्थान प्राप्त किया है। इससे यह पता चलता है कि विद्यालय के छात्र सभी प्रतियोगिताओं के प्रति जागरूक होकर उनमें हिस्सा लेते हैं और अपना स्थान प्राप्त करते हैं।

दूर-दूर से आने वाले छात्रों व छात्राओं के उत्साह को देखकर भाव विभोर होकर फरहीन जी कहते हैं कि उनकी सबसे बड़ी उपलब्धि यही है कि उनके विद्यालय से पढ़कर छात्रों व छात्राओं ने राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर पर नाम कमाया है। उनका जज्बा यहीं तक सीमित नहीं है। वे कहते हैं कि उनके छात्र एवं छात्राओं को वे प्रतियोगी परीक्षा, स्नातक अग्रणी शिक्षा में भी आर्थिक रूप से सहायता प्रदान करेते। वे बताते हैं कि विज्ञान प्रतियोगिता में उनके छात्रों ने हाई स्कूल तक के बच्चों को पछाड़ा है।

विद्यालय के एक छात्र ऋषि अग्रहारि ने 7वीं कक्षा में ही स्कूल की वेबसाइट डिजाइन कर दी। इतना ही नहीं फरहीम जी अपने सारे तकनीकी कार्य इसी छात्र की सहायता से करते है व स्कूल के सारे तकनीकी कार्य को ऋषि और उसके साथ के बच्चे ही संभालते हैं।

विद्यालय की छात्राएं शुभांगी सिंह, आस्था सिंह व उनकी सहपाठियों ने मिलकर महिला सुरक्षा के लिए एक बहुत ही आधुनिक मॉडल तैयार किया। इस मॉडल के अंतर्गत महिलाओं को रात के समय सड़कों पर चलते समय असुरक्षा की भावना ना आए और कोई उन्हें परेशान ना कर सके, इसके लिए तकनीकी सुरक्षा उपाय सुझाए गए हैं। छात्राओं द्वारा बनाए गए इस मॉडल में सोलर स्ट्रीट लाइट, सीसीटीवी कैमरा, सेंसर, बायोमैट्रिक फिंगरप्रिंट सिस्टम जैसी तकनीकी मशीनो के उपयोग पर जोर दिया गया है। इस मॉडल को प्रतापगढ़ जनपद के अधिकारियों व पुलिसकर्मियों ने खूब सराहा है।

बच्चों से मिलती है प्रेरणा

फरहीम जी मानते हैं कि एक छात्र ही शिक्षक का प्रचारक या आलोचक हो सकता है। अतः वे अपने कार्य का श्रेय मुख्यतः अपने छात्रों को देते हैं और उनकी बेहतरी ही फ़रहीम जी को और बेहतर कार्य करने के लिए प्रेरित करती हैं। उन्हें मिलने वाला सम्मान व वाह-वाही ही फ़रहीम जी का सबसे बड़ा पुरस्कार और प्रेरणा है। उनके कार्य को देखकर यूपी के शिक्षा निदेशक डॉक्टर सर्वेन्द्र विक्रम बहादुर सिंह ने भी उन्हें ट्वीट कर प्रोत्साहित किया जो कि फरहीम जी के लिए और बेहतर कार्य करने का प्रेरणा स्रोत बना।

उनके अनुसार कार्यों को प्रशंसा मिलने पर बड़े से बड़ा कार्य आसानी से किया जा सकता है। वे बताते हैं कि उनके विद्यालय में निदेशक साहब के सहयोग से प्रोजेक्टर सोलर पैनल कंप्यूटर इत्यादि उपकरण भी उपलब्ध है।

फरहीम जी ने अपनी सफलता का सारा श्रेय अपने विद्यालय के बच्चों को दिया है। वे कहते हैं कि आज उनके विद्यालय के बच्चों की कड़ी मेहनत के कारण ही उनके विद्यालय को और उनको राष्ट्रीय स्तर तक जाना जा रहा है। कार्य के प्रति उनका समर्पण इसी बात से देखा जा सकता है कि आज 15 साल की सरकारी नौकरी होने पर भी महीने के अंत में उनके खाते में मात्र 3000 से 4000 रुपए की राशी होती है। इससे यह पता चलता है कि उन्होंने अपना सर्वस्व अपने छात्रों को पढ़ाने व उनके भविष्य को निखारने में लगा दिया।

स्कूल में कई ऐसे संसाधन है जिन्हें फ़रहीम जी ने स्वयं अपनी तनख्वाह के पैसों से खरीदा है। वे अपने विद्यालय के बच्चों को अपने बच्चों की तरह ही समझते हैं और उसी प्रकार उन पर पैसे खर्च करते हैं। कोरोना के इस दौर में जहां सभी स्कूल ऑनलाइन संसाधनों से ही शिक्षण करा रहे हैं, वहाँ उनके स्कूल के बच्चे भी इन सुविधाओं का लाभ उठा सकें इसीलिए वे अपने विद्यालय के गरीब छात्र छात्राओं के मोबाइल स्वयं अपने पैसों से रिचार्ज करते आ रहे हैं।

फरहीम जी ने अपनी सफलता के पीछे अपने शिक्षक साथियों और बच्चों के उत्साह और सहयोग को मुख्य वजह बताते है। वे अपने पूरे समूह को लेकर आगे बढ़ते हैं। अपनी सरकारी सेवा के आने वाले वर्षों में भी वे इसी प्रकार संपूर्ण निष्ठा से अपने छात्रों के लिए कार्यरत रहना चाहते हैं। विद्यालय को वे अपना परिवार ही मानते हैं । फ़रहीम जी का कहना है कि सरकारी स्कूल त्याग बलिदान और समर्पण से बनता है।

फ़रहीम जी के कार्यो को देखकर लगता है कि हर व्यक्ति को और हर शिक्षक को फरहीम जी की ही भांति अपने शिष्यों के कल्याण का सोचना चाहिए और विद्यालय में सारी तकनीकी व्यवस्थाएं समय का तकाजा देखकर छात्रों की उन्नति के लिए उपलब्ध करवानी चाहिए। आज के विद्यालयों को फरहीम जी जैसे ही शिक्षकों की जरूरत है। sarkarischool.in मोहम्मद फ़रहीम जैसे भारत के भाग्य रचयिता, उनके प्रयासों और समर्पण को सलाम करता है।

सरकारी सबसे असरकारी

(श्रेया नकाड़े के साथ)

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About the author: Abhishek Ranjan

Abhishek Ranjan is the Founder and Director of SarkariSchool.IN

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  1. Mohd Farhim - September 30, 2020 Reply

    सर्वप्रथम आपकी सोच को नमन करता हूं। आप सच्चे राष्ट्र निर्माता है।इतना अच्छा संदेश आप समाज को दे रहे हैं जिसका समाज पर सकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है परिणाम स्वरूप क्रांतिकारी परिवर्तन देखने को मिल रहे हैं। यह नेक कार्य आपसे ईश्वर करा रहा है क्योंकि ईश्वर आपसे बहुत प्रसन्न है यह आपके व्यक्तित्व में झलकता है।
    वास्तव में मैं आपसे बहुत अधिक प्रभावित हूं। आपको मैं किधर से पुनः नमन करता हूं।

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